प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल नहीं रहे, 83 की उम्र में रायपुर AIIMS में ली अंतिम सांस
छत्तीसगढ़ के मशहूर कवि, साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. रायपुर एम्स में उनका इलाज चल रहा था. पिछले दिनों उन्हें सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार 'ज्ञानपीठ' से नवाजा गया था.

छत्तीसगढ़ के जाने-मानें साहित्यकार विनोद कुमाद शुक्ल नहीं रहे. उन्होंने 83 साल की उम्र में मंगलवार को अंतिम सांस ली. उनके बेटे शश्वत ने ये जानकारी दी. वे बीमार थे. रायपुर एम्स में उनका इलाज चल रहा था. पिछले दिनों उन्हें देश के सबसे बड़े साहित्यिक सम्मान 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से नवाजा गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विनोद शुक्ल के निधन पर शोक जताते हुए सोशल मीडिया X पर लिखा- ''ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे. शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उनके निधन के बाद सोशल मीडिया X पर श्रद्धांजलि दी. उन्होंने लिखा- ''महान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल जी का निधन एक बड़ी क्षति है. नौकर की कमीज, दीवार में एक खिड़की रहती थी जैसी चर्चित कृतियों से साधारण जीवन को गरिमा देने वाले विनोद जी छत्तीसगढ़ के गौरव के रूप में हमेशा हम सबके हृदय में विद्यमान रहेंगे.संवेदनाओं से परिपूर्ण उनकी रचनाएं पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी. उनके परिजन एवं पाठकों-प्रशंसकों को हार्दिक संवेदना. ॐ शान्ति.''
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विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को राजनांदगांव में हुआ था. साल 1971 में उनका पहला कविता संग्रह 'लगभग जय हिंद' प्रकाशित हुआ था. इन्होंने एग्रीकल्चर में एमएससी किया. ये लेखन कार्य से जुड़ गए. उनकी असली पहचान एक ऐसे लेखक की बनी जिसने आम आदमी की जिंदगी, अकेलापन, सपने और छोटी-छोटी खुशियों को असाधारण ढंग कलमबद्ध किया. सीधी सरल और बेहद मार्मिक लेखन शैली वाले विनोद शुक्ल की रचना 'नौकर की कमीज' पर फिल्मकार मणिकौल ने फिल्म बनाई. 1979 में उनकी ये उपन्यास प्रकाशित हुआ था.
इनकी प्रसिद्ध रचनाएं
कविता संग्रह
- लगभग जयहिंद
- वह आदमी चला गया
- सबकुछ होना बचा रहेगा
- आकाश धरती को खटखटाता है
- कभी के बाद अभी
- कवि ने कहा
- हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़
उपन्यास
- नौकर की कमीज (सबसे चर्चित, इस पर फिल्म भी बनी)
- खिलेगा तो देखेंगे.
- दीवार में एक खिड़की रहती थी.
कहानी
- पेड़ पर कमरा
- महाविद्यालय
- एक कहानी
- गोदाम
- गमले में जंगल
पुरस्कार और सम्मान
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
- रघुवीर सहाय सम्मान
- शिखर सम्मान
- ज्ञानपीठ पुरस्कार (हिंदी साहित्य का सर्वोच्च सम्मान)
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